भागवतिक वार्तालाप 🚩

हरि बोल हरे कृष्ण :pray:

सभी को प्रणाम। मैं श्लोक चाहता हु कि हम यहां भगवान के नाम जप, शास्त्र सम्मत बाते भी साझा करे ताकि सभी लोग ब्रह्मचारी बने।

जो व्यक्ति रोज भगवान का नाम जपता है और उनका स्मरण करता है भगवान उसकी बुद्धि शुद्ध करते है। आप सभी से आग्रह है कि मन लगे न लगे, जोर से हो या धीरे धीरे लेकिन नाम जप जरूर करे।

ब्रह्मचर्य के कुछ basic नियम है

  1. नाम जप :white_check_mark:
    आपको जो नाम प्रिय हो, राम, हरि, कृष्ण, राधा, जगन्नाथ, शिव, गणेश आप उनका नाम जप कर उनका चिंतन करे। खाने से पहले, पढ़ाई से पहले, काम से पहले, उठने के तुरंत बाद, फ्री समय में, किसी भी स्थान पर आप नाम जप कर सकते है। यहां तक की शौचालय में भी आप नाम जप कर सकते है इसमें कुछ गलत नही है। भगवान स्वयं कहते है कि मेरा नाम तुम हर परिस्थिति, हर जगह, में ले सकते हो।

  2. भोजन :white_check_mark:
    आपका भोजन भी आपके मन पर बहुत प्रभाव डालता है तो कृपा करके मांस, मछली, अंडा खाना बंद करे :pray: क्योंकि जानवरो में भी प्राण होते है, भावना होती है इन्हे मारना और खाना पाप है। इस पर कोई तर्क नहीं हो सकता। प्याज और लहसुन खाना पाप नही है क्युकी ये जमीन के भीतर ही उगते है लेकिन प्याज और लहसुन तमोगुणी है इसलिए इसे खाना माना किया जाता है।

आपका खाना सात्विक हो। ध्यान रखे जब खाना बनाए तब हमेशा भगवान का नाम जप और चिंतन करते हुए खाना बनाए। आपकी माता जी खाना बना रही हो तो रसोईघर में मोबाइल में कोई भी भजन लगा दे। भगवान के बारे में चिंतन करेंगे तो वो vibration खाने में जाएगी और आपका भोजन पवित्र होगा। अन्न का अपमान कभी न करे। हमेशा आधा पेट खाना खाए। पानी ज्यादा पिए। हो सके तो हफ्ते में एक बार उपवास जरूर करे।

  1. शारीरिक व्यायाम :white_check_mark:
    आप युवा है तो सुबह जल्दी उठकर कम से कम आधा घंटा अपने शरीर को थकाए। आप walking कर सकते है, running कर सकते है, दंड बैठक, सूर्य नमस्कार, gym , करे। इससे दिन भर आपका शरीर हल्का महसूस होगा। हो सकता है पहले दिन करने के बाद अगले दिन आपको शरीर में दर्द हो तो ऐसा न सोचे की आज रहना देते है आज शरीर दुख रहा है, नही । बल्कि थोड़ा थोड़ा रोज करे फिर धीरे धीरे मेहनत ज्यादा करें। इससे आपका शरीर ताकतवर और आकर्षक होगा।

  2. जागरण :white_check_mark:
    सूर्य देवता के उगने से पहले आप उठ कर देखिए आपको अपने आप पता चल जाएगा इसका फायदा क्या है । आप मुझे रिप्लाई करके बताइएगा😄

  3. देखना, सुनना, बोलना :white_check_mark:
    आप क्या देखते है, क्या सुनते है, क्या बोलते है इसका असर आपके विचार पर पड़ता है। गंदा दृश्य देखा, गंदा विचार आया, बुद्धि ने गंदा फैसला लिया, आपने गंदा कृत्य कर दिया। इसलिए जितना हो सके गंदे दृश्य, वचन, और गंदी बातो को सुनने से बचे।
    आपके दोस्त अगर गाली देते है तो उनसे भी दूर रहे। तो करें क्या ?? किताब और साधु संतो से अच्छा मित्र कोई नही हो सकता। भागवत पुराण, रामायण, वेद, भगवद गीता, और अन्य किताबे पढ़ना शुरू करे। साधु संतो के वचन सुने। हो सके तो सत्संग में जाए। ( मैं youtube पर परम पूज्य बाबा प्रेमानंद जी महाराज को सुनता हु, आप भी सुन सकते है, ये सारी बाते उनके श्री मुख से सुनी और जानी वही आपको मैने यहां बता दी :smile:

बाकी मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हु आप सभी स्वस्थ हो, खुश हो, सफल हो
जय श्री हरि :pray:
हरे कृष्ण हरि बोल :triangular_flag_on_post:

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आज की सीख :fountain_pen:

भगवान के भक्त दूसरो के कर्मों को नहीं देखते है, वे अपने कर्तव्य पर ध्यान देते है।
जैसे कोई हमे गाली दे तो बदले में हमे क्या करना है इसके 3 option है

  1. तुरंत सामने वाले को गाली देना :japanese_goblin:
  2. कुछ नही बोलना :persevere:
  3. दिल से सामने वाले को दुआ देना और भगवान से प्रार्थना करना कि सामने वाले की बुद्धि शुद्ध करे।:innocent:

Option 1 को अगर हम ले तो फिर सामने वाले और हम में कोई फर्क नहीं रह जाएगा।

Option 2 ये ऑप्शन में कोई बुराई नही है पर पूरी तरह से सही नही क्युकी हम जवाब में कुछ बोलते तो नही है पर मन ही मन उसे बुरा भला कहते है

Option 3 ये सच्चे भक्तो की निशानी है क्युकी वे सभी में अपने प्रभु को देखते है और इसलिए सभी के लिए दुआए देते है, अपना कर्तव्य निभाते है।

कोई कैसा भी व्यवहार करे हमे तब यह ध्यान रखना चाहिए कि हम कैसा व्यवहार कर रहे है ? क्युकी सामने वाले के व्यवहार से उसका भविष्य तय होगा और हमारे व्यवहार से हमारा भविष्य।

अच्छा इसका ये मतलब बिलकुल नहीं है कि कोई आपके यहां चोरी कर रहा हो और आप उसे दुआए दे। :laughing: नही उस चोर के प्रति हमारा कर्तव्य है कि हम उसे पकड़कर जेल में भिजवाए। कोई आपकी जमीन हड़प रहा रहा है तो आपका कर्तव्य है केस दर्ज करना, कानून की सहायता से उसे दंड दिलवाना। लेकिन आपके मन में सामने वाले के प्रति द्वेष भावना न आने पाए। ये स्थिति बहुत उच्च कोटि के भक्तो में आती है।

इसलिए प्रभुजी, भजन करते रहिए। सब प्राणियों के प्रति, अपने प्रति दया और शुभ भावना रखिए। भगवान सब तरह से आपको perfect बना देंगे और आपका मंगल करेंगे। जरा जोर से बोलो अब " जय श्री राम " :triangular_flag_on_post:

आपका दिन शुभ हो। जय श्री हरि :pray:

Today’s Lessons :fountain_pen:

Devotees of God do not look at the deeds of others, they pay attention to their duty.
If someone abuses us, then what do we have to do in return?

  1. Immediately abusing :japanese_goblin: the front
  2. Nothing to say :persevere:
  3. Praying with the heart to the other and praying to God to purify the intellect of the other person. :innocent:

If we take Option 1, then there will be no difference between the other and us.

Option 2 There is nothing wrong in this option but not completely correct because we do not say anything in response but call it bad in our mind

Option 3 This is a sign of true devotees because they see their Lord in everyone and therefore give blessings for everyone, perform their duty.

No matter how someone behaves, we should keep in mind how we are behaving. Because the behavior of the person in front will decide his future and our behavior will decide our future.

Well, this does not mean that someone is stealing from you and you give him blessings. :laughing: No, it is our duty to catch that thief and send him to jail.

If someone is grabbing your land, then it is your duty to register a case, punish him with the help of law. But you should not have a feeling of hatred towards the front. This situation comes in very high quality devotees.

So Prabhuji, keep doing bhajan. Have compassion and good feelings towards yourself, towards all beings. God will make you perfect in every way and bless you. Now say louder “Jai Shri Ram” :triangular_flag_on_post:

Have a nice day. Jai Shri Hari :pray:

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आज क्या सीख मिली ?

गुरुजी के श्री मुख से सुना कि जो आप फोटो में पूजा करते हो तो वो तो ठीक है लेकिन आपके घर कोई मेहमान आए, राहगीर जल मांगे, तो उनकी सेवा पहले करना चाहिए। क्युकी भगवान अलग अलग रूप में आपके पास आते है आपको पता भी नहीं होता और वो आपकी परीक्षा लेते है।

हमेशा ध्यान रखिए कि भगवान की मूर्ति या फोटो कभी भोग नहीं स्वीकार करती है, जब आप कुछ भोग लगाकर भक्तो को पवाते है तो स्वयं भगवान उसे पाते है।

आप खूब ठाकुर सेवा करे, उन्हे सजाए, नहलाए, टीका लगाए, भोग लगाएं, आरती करे और भजन करें लेकिन ये भी ध्यान रखे कि भगवान सिर्फ फोटो में नही होते है भगवान सबके हृदय में होते है।

अगर आप खूब पूजा पाठ करते है लेकिन बाद में दूसरो के साथ अभद्र व्यवहार करते है तो भगवान वो पूजा कभी स्वीकार नहीं करते। इसलिए कहा जाता है कि हर समय परमात्मा के चिंतन में रहो ताकि आपसे कोई गलत कर्म न बन जाए।

श्री हरि आप सभी पर कृपा करे। आप सभी स्वस्थ हो जाए इसी प्रार्थना करता हु :pray:
हरि बोल :triangular_flag_on_post:

What did you learn today?

I heard from Guruji’s mouth that if you worship in the photo, then it is fine, but if a guest comes to your house, if a passerby asks for water, then he should be served first. Because God comes to you in different forms, you do not even know and he tests you.

Always keep in mind that the idol or photo of God never accepts bhog, when you offer something to the devotees, then God himself finds it.

You should serve Thakur a lot, decorate them, bathe, vaccinate them, bhog, do aarti and do bhajan, but also keep in mind that God is not only in the photo, God is in everyone’s heart.

If you recite a lot of worship but later behave indecently with others, then God never accepts that worship. That is why it is said that stay in the contemplation of God at all times so that you do not do wrong deeds.

Sri Hari bless all of you. I pray that you all get well🙏
Hari Bol :triangular_flag_on_post:

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आज की सीख :pray::triangular_flag_on_post: ( पोस्ट थोड़ी लम्बी है पर पढ़िएगा जरूर )

कुछ लोग सोचते है कि किसी समस्या का हल करना हो तो बाबाजी के पास चले जाओ जो मंत्र तंत्र या कोई ताबीज जंतुर दे देंगे जिससे समस्या का समाधान हो जाएगा। यह बिलकुल असत्य है। :smiley:

:point_right:हमारा (जन्म ) शरीर हमारे पूर्व संस्कार और दो मिश्रित कर्मों के फलों से बनता है, शुभ और अशुभ। मतलब पिछले कई जन्मों में आपने जो शुभ और अशुभ कर्म किए उसे इस नए शरीर में पहले से लिख दिया जाता है। ऐसा मान लीजिए कि आपने अपने कर्म के बैंक में कुछ पुण्य और पाप जमा करके रखे जो इस जन्म में आपको मिलने वाले है।

धरती का दूसरा नाम है ‘ दुखालय ’:earth_africa:

दुनिया में ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं जिसे स्ट्रगल ना करना पड़ा हो फिर चाहे वो दुनिया का सबसे अमीर आदमी हो, प्रधान मंत्री हो, या कोई बड़ा अफसर। ये बात तो पक्का समझ लीजिए कि सुख और दुख दिन और रात की तरह है जो आते जाते रहते है।
अब बात आती है कि दुख को दूर कैसे करे ?:thinking:

दुख को दूर करने का एकमात्र उपाय है ( नाम जप ) :prayer_beads::high_brightness:
अब ऐसा नहीं है कि नाम जपने वाले भक्तो को कष्ट नहीं आता। कष्ट आता है लेकिन नाम जपने से जो उन्हें शक्ति मिलती है वो उस शक्ति से उस दुख को हस्ते हुए सह जाते है और उन्हें पता भी नही चलता कि क्या सच में यह दुख था ?

भगवान को स्मरण करने से और धर्मपूर्वक कर्म करने से पूर्व के पाप का भी नाश होता है, नाम जपने वाले भक्त असीम आनंद में रहते है और वह अगला जन्म इस धरती पर लेते ही नही है वह ईश्वर के परमपद को प्राप्त करते है। :bowing_man:

आप भी चाहते है कि आपको भी भगवद प्राप्ति हो तो भगवान का नाम जप करते रहिए, आचरण पवित्र कीजिए, दूसरो को सुख पहुचाइए । भगवान को मंगल भवन अमंगल हारी कहते है उन पर विश्वास कीजिए उनकी शरण में आइए। सब ठीक होगा

हरि बोल :triangular_flag_on_post:

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आज भगवद गीता के 5वे अध्याय से मिली सीख🙏


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जय श्री हरि :pray:
आज की सीख

हम गृहस्थ लोग है फिर भी जितना हो सके भोजन घर का बना हुआ ही खाना चाहिए । क्यों ?? बाहर का क्यों नहीं खाना चाहिए ??

जब आप किसी restraunt में जाते है और कुछ खाने के लिए आर्डर करते है तो आप ये नही देखते की भोजन कौन बना रहा है, क्या वह पूरी साफ सफाई के साथ बना रहा है, भोजन में कोई बासी पदार्थ तो नही डाला जा रहा ?

अच्छा मान लीजिए कि कोई बहुत ही साफ सफाई से खाना बना रहा है लेकिन क्या उसके मन में जो विचार है वो पवित्र है ?? मेन बात तो यही है कि जो भोजन बनाता है उसको साफ सफाई तो रखना ही चाहिए साथ ही उसके मन में कोई गलत विचार नहीं चलना चाहिए क्योंकि गलत विचारो के साथ बनाया गया भोजन हमारे शरीर में negative energy का संचार का करता है।

वही हमारी मां जो बिल्कुल निस्वार्थ भाव से हमारे लिए प्यार से भोजन बनाती है पहले हमे खिलाती है और सबके अंत में वो खाती है। मां का वो प्यार उस भोजन में positive energy डाल देता है इसीलिए सभी कहते है कि मां के हाथ का भोजन सर्वश्रेष्ठ है।

वैसे हमें पूरी कोशिश करनी चाहिए कि हम घर का बना खाना ही खाए लेकिन कभी emergency में हमे बाहर खाना पड़े तो कोई समस्या नहीं है आप खाइए लेकिन खाने से पहले प्रभु से प्रार्थना करके खाइए ।

याद रखिए जान बूझ कर बाहर खाना सही नही है। आजकल बच्चे पिज्जा, बर्गर, नूडल्स, मोमोज, चाट चौपाटी आदि बहुत खाते है ये सब हमारे शरीर के लिए हानिकारक ही है। जैसा अन्न वैसा मन। जैसा पानी वैसी वाणी।

शास्त्रों के अनुसार हमे शुद्ध शाकाहारी भोजन करना चाहिए। मनुष्य को जीवित रहने के लिए खाना चाहिए नाकी खाने के लिए जीना चाहिए। जो व्यक्ति मांस, मछली, अंडे खाते है वे पाप कमाते है और इसका परिणाम उनको भोगना ही पड़ता है।

ईश्वर ने फलों में, सब्जियों में अलग अलग प्रकार की variety दी हुई है, खूब भजन गाते हुए भोजन पकाइए, प्रभु को भोग लगाइए फिर भगवान की धन्यवाद देते हुए खाइए क्योंकि दुनिया में ऐसे लाखो लोग है जिनको 1 वक्त की रोटी नसीब नही होती।
आप बहुत भाग्यशाली है जो रोज लजीज व्यंजन पा रहे है।

अच्छा कुछ देश ऐसे है जहा खराब मौसम के कारण फल सब्जियां ना के बराबर होती है तो वे लोग जीवित रहने के लिए मांस खाए तो कोई समस्या नहीं होती। बाकी हमे तो सब कुछ आसानी से मिल जाता है।

प्लीज हाथ जोड़कर विनती है आपसे :pray:अज्ञानवश आपने अभी तक मांस खाया है तो अब त्याग दीजिए क्योंकि पशुओं में भी भावनाए होती है, उनमें भी जीवात्मा होती है । याद रखे की जो चीज आप प्रभु को भोग नहीं लगाते तो वो आप खुद कैसे खा सकते है ? सोचिएगा

आप लोग स्वस्थ रहे, मस्त रहे, प्रभु को याद करते रहे सब मंगल होगा :innocent:
जय श्री हरि
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आज की सीख

जीवन में गुरु का होना अति आवश्यक है :pray: क्योंकि गुरु हमे जीवन जीने का सही तरीका बताते है। गुरु ही माता पिता है, वे ही परमात्मा है।
" गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुर्गुरुर्देवो महेश्वरः
गुरु साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः"

गुरु ही ब्रह्म, गुरु ही विष्णु, गुरु ही साक्षात् परब्रह्म है, हे गुरुवर आपको प्रणाम है🙏

वो गुरु ही होता है जो आपको असत्य से सत्य की ओर, अंधेरे से प्रकाश की ओर, मृत्यु से अमरता की ओर ले जाता है। गुरु बिना जीवन मानो बिना तेल का दीपक। :diya_lamp:

गुरु कृपा से ही हमे भगवान के अस्तित्व का बोध होता है इसलिए गुरु को साक्षात परब्रह्म कहा गया है। एक बार जो आप गुरु दीक्षा ले ले फिर उनके द्वारा दिया गया गुरु मंत्र और भगवान का नाम जप करे आपका जीवन सफल हो जाएगा।

गुरु के वचनों का पालन करे। गुरु ही भगवान है उनकी पूजा करे।
जिसके जीवन में गुरु महात्मा नही होते वो इस संसार में बहुत कुछ होते हुए भी खुद को खाली सा पाता है।

ज्ञान तो हमारे ग्रंथों में इतना है कि कोई इसे खुद से पढ़कर इस ज्ञान को अपने अंदर समाहित करके नही रख पाता। आजकल भागदौड़ वाली दुनिया में लोगो के पास इतना समय भी नही है कि वे ये सब शास्त्र आदि पढ़ पाए। गुरु के वचनों में ये सभी शास्त्र आदि का सार होता है।

जैसे एक बड़ा घना जंगल है जिसमे आप अकेले जाए तो कभी बाहर आने का रास्ता नही ढूंढ पाएंगे। लेकिन जो उस जंगल में ही रहता है वह आपको आसानी से रास्ता बता देगा और आप बाहर आ जाएंगे ठीक उसी प्रकार वेद शास्त्र आदि भी एक घना जंगल है जिसको पढ़ पाना बड़ा मुश्किल है लेकिन गुरु वो है जो सारे वेद शास्त्रों का सार आपको बता देते है ताकि आपका समय व्यर्थ न हो और आपको जल्दी भगवद प्राप्ति हो जाए।

अपने गुरु के सानिध्य में रहकर, उनकी सेवा करे और खूब नाम जप करे। ईश्वरीय कृपा का अहसास आपको हमेशा होता रहेगा।

हरि बोल :prayer_beads:
आपका दिन मंगलमय हो :pray:

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हरि बोल :triangular_flag_on_post:
आज की सीख

क्रोध : एक भयानक बीमारी

जब कोई व्यक्ति हमारे मन मुताबिक नही चलता या फिर कोई परिस्थिति जो हमारे मन मुताबिक नही होती तो हमे क्रोध :face_with_symbols_over_mouth: आ जाता है या फिर हम दुखी :cry: हो जाते है। क्रोध में हमारा व्यवहार अजीब हो जाता है या यूं कहे कि क्रोध में हम जानवर से भी बेकार बर्ताव करते है। :crocodile:

क्रोध आने का सबसे बड़ा कारण है " उम्मीद करना " :slightly_smiling_face:

हम ये सोच लेते ही कि इसे ऐसा नहीं करना चाहिए, इसे ऐसे चलना चाहिए, इसे ऐसे बोलना चाहिए, इसका व्यवहार ऐसा होना चाहिए और जब वो हमारी उम्मीद पर खरे नहीं उतरते तो हम गुस्सा करते है।

क्रोध को खत्म कैसे करे ?

उम्मीद करना छोड़ दीजिए। दुनिया में अरबों लोग रहते है सबके अलग अलग संस्कार है, सब अलग अलग वातावरण में पले बढ़े है, सबको अलग प्रकार की शिक्षा मिली। अब सभी से ये उम्मीद लगाना कि सभी एक जैसे हो, अच्छे हो तो फिर तो ये उम्मीद आपकी ये जन्म तो क्या किसी भी जन्म में पूरी नहीं होगी। हमारी खुद के हाथो में 5 उंगलियां बराबर नहीं तो इतने सारे लोग एक जैसे कैसे हो सकते है ? जरा सोचिए।

दूसरे जो करते है वो उनके संस्कार है। हमे क्या संस्कार मिले कि दूसरो को सुख देना, मदद करना, प्रशंसा करना, आदि। आप ऐसा बिलकुल न सोचे कि कोई व्यक्ति मेरे मुताबिक चलेगा। अगर कोई विपरीत व्यवहार करता है तो आप तो शांत रहिए।

हम आत्मा है और आत्मा का स्वाभाविक गुण है " शांति "
E.g क्या आपने कभी ऐसा व्यक्ति देखा है जो 24 घंटे लगातार गुस्सा करता हो ? मुझे पता है आपका जवाब ना ही होगा। क्योंकि क्रोध आत्मा का स्वाभाविक गुण नहीं है। इंसान कितना भी गुस्सा करते लेकिन कुछ मिनिट, घंटे बाद वो चुप हो ही जाता है।

इसलिए उम्मीदों का त्याग करना सीखिए। अपने जीवन में adjust करना सीखिए। सहन करना सीखिए। आप गुस्सा करके क्या ही कर लेंगे ? गुस्सा करने से energy down होती है।

जैसे गर्मी का दिन हो, खूब तेज धूप पड़ रही हो, आपको गर्मी बिलकुल पसंद नहीं हो तो क्या आप सूर्य पर गुस्सा करेंगे, उसे गाली देंगे?? नही ना और अगर गुस्सा कर भी लेंगे तो क्या गर्मी कम हो जाएगी :joy: ? बिलकुल नहीं।

तो गुस्सा एक दुर्गुण है जो हमे अपने भीतर से निकल फेकना है। इसलिए

  1. रोज प्रभु का स्मरण कीजिए। प्रभु का स्मरण करने से आपको हर परिस्थिति में कुछ न कुछ अच्छा नजर आता है और आप शांत रहते है।

  2. योगा और मेडिटेशन को अपने जीवन में लाइए।

  3. विपरीत परिस्थितियों में जरा 2 मिनिट सोचिए कि गुस्सा करके ये परिस्थिति को सुधारा जा सकता है ?? आपको खुद ब खुद जवाब मिल जाएगा।

  4. सोने से पहले भगवान को update दीजिए कि आज मैने ये अच्छा किया और ये गलत। भगवान से प्रार्थना करिए कि मुझे गलत विचार, कर्म से बचाइए प्रभु :pray:

मैं आपके सफल, सुख समृद्धि, शांत और मंगल जीवन के लिए भगवान से प्रार्थना करता हु। आप लोग इसी तरह आगे बढ़ते रहिए। भगवान आपके साथ है, तो डरने की क्या बात है ?

हरि बोल हरि बोल :pray:

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क्रोधद्भवति समोह समोहत् स्मृति विभ्रम
स्मृतिभ्रंसद् बुद्धिनास बुद्धिनासात् प्रणस्यति ||
Meaning:
Krodh se smruti nast hota he ,smruti nast hone se budhi thik se kaam nhi karta ,budhinas se jiban ki nas hojati he.

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बिलकुल सही। ये श्लोक गुरुजी के मुख से भी सुना था :pray:

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यह श्लोक स्वयं भगवान कृष्ण द्वारा कही गई है, जय श्री कृष्णा ll

जी भैया मैं वी गुरुजी प्रेमानंद महाराज जी को सुनता हूँ | यह श्लोक श्रीमद्भगवद्गीता से आया है | यह 2 अध्याय के 63 श्लोक है |

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जी, मुझे उनमें हमारे गुरुजी नजर आते है इसलिए कोशिश करता हु कि उनकी बताई बातो पर चल सकू

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आजकल हम युवा पीढ़ी गंदी आदतों और व्यभिचार में पड़ गए है जिस वजह से हमारा शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, आर्थिक, भावनात्मक और खास कर आध्यात्मिक विकास रुक सा गया है।

हम दिन भर यह टेंशन में रहते है कि कही मैं ये गंदा कृत्य दोबारा न कर लूं। बार बार यही विचार आते है लेकिन गुरुजी कहते है की " बच्चा, भगवान के सामने सरेंडर हो जाओ उनकी शरण में आ जाओ सब ठीक हो जाएगा।

जैसे जब हम छोटे होते है और कोई मुसीबत आन पड़ती है तो हम मम्मी पापा के ऊपर बात छोड़ देते है उसी प्रकार भगवान को स्मरण कर उनके ऊपर सारी टेंशन छोड़ दो वो सब देख लेंगे। भगवान कहते है कि अपना कर्तव्य कर्म करते हुए मेरा चिंतन कर मैं तेरे सारे पाप भस्म कर दूंगा।

सच मानो तो भगवान की दयालुता को हम अधम पापीजन अभी समझे नही है वरना कब के निहाल हो गए होते। भगवान इतने कृपालु है कि एक बार भी उन्हें प्यार से स्मरण करो तो वो रीझ जाते है ।

लेकिन ये भी है कि भगवान हमारी परीक्षा जरूर लेते है इसमें पास होना महत्वपूर्ण है। क्युकी पूरे साल की मेहनत क्या हुई ये तो वे जाचेंगे ।

अगर हम भगवान के आश्रित हो जाए कि प्रभु अब मुझसे ये गंदी आदत नही छूट रही या अमुक गंदा कर्म नही छूट रहा प्रभु आप ही संभालिए :sob::pray: तो वे पक्का कृपा करेंगे। जो व्यक्ति गलत को पहचान चुका है और सही रास्ते पर चलने के लिए भगवान से प्रार्थना करता है तो भगवान उसे हाथ पकड़कर सही रास्ते पर छोड़ देते है।

खूब आनंद में रहिए। प्लानिंग करिए की दिन भर अमुक अमुक काम करना है और शाम को 5–10 मिनिट श्री भगवान का नाम कीर्तन करना है। जितना प्रभु का नाम लेंगे उतना ज्ञान और ताकत मिलेगी । ज्ञान और शक्ति से आप कोई भी एडिक्शन को हरा सकते है।

श्री भगवान आप सभी भाई बहनों पर कृपा करे। आप स्वस्थ है, आप बलशाली है।
हरि बोल हरि बोल :triangular_flag_on_post::pray: