आओ ब्रम्हचारी बने, शक्तिशाली बने।

भाइयो चलो फिरसे एक बार वह ऋषियों की ब्रम्हचर्य परम्परा पुर्नजीवित की जाए और देश के युवाओं को शक्तिशाली और चरित्रवान बनाया जाए। भाइयो आप सभी से अनुरोध है कि आप अपनी मातृभाषा में ब्रम्हचर्य Nofap सम्बन्धित जानकारी यहा शेयर करे और और इस मार्ग पर चल रहे साथियो की मदद करे। आपका शेयर किया हुआ एक एक शब्द न जाने कितने युवाओ की साधना अखंडित रखने में मददगार साबित हो सकता है।

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ब्रम्हचर्य की शक्ति l Power of Bramhacharya

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ब्रम्हचर्य कुछ दिनों के बाद क्यो टूट जाता है?

अनुभव -
छोटासा कामुक विचार, दृश्य विचारो की अनियंत्रित शृंखला को जन्म देता है। जिस तरह नाव को हवा का झोंका बहा ले जाता है उसीतरह कामुक विचार मन को बहा ले जाते है। वीर्यनाश का मूल कारण छोटे छोटे कामुक विचार और दृश्य ही है।
जो साधक केवल शारीरिक तौर पर ब्रम्हचर्य रखते है लेकिन मन के कामुक विचारो पर नियंत्रण नही रखते उनका कुछ समय बाद वीर्यनाश होना ही है। और एक बात यह है कि जब व्यक्ति कामुक विचार करता है तब उसकी शारीरिक प्रजनन संस्था कार्यान्वित हो जाती है और वीर्य स्खलित होना चालू हो जाता है। लेकिन वह दिखाई नही देता और थोड़ी थोड़ी मात्रा में स्खलित होते रहता है। इस कारण ब्रम्हचर्य के परिणाम दिखाई नही देते और साधक निराश हो जाता है कि मुझ पर यह ब्रम्हचर्य परिणाम क्यो नही कर रहा।
अन्तः अपने मन मे आ रहे विचारो पर ध्यान रखने से ब्रम्हचर्य ज्यादा समय तक बनाये रखना आसान हो जाता है।
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शारीरिक आकर्षण के बारे में आचार्य चाणक्य के विचार
Chankya’s teaching on infatuation.

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तस्मादज्ञानसम्भूतं हृत्स्थं ज्ञानासिनात्मनः ।
छित्वैनं संशयं योगमातिष्ठोत्तिष्ठ भारत ॥ (4-42)

भावार्थ : हे अर्जुन! तू अपने हृदय में स्थित इस अज्ञान से उत्पन्न अपने संशय को ज्ञान-रूपी शस्त्र से काट, और योग में स्थित होकर युद्ध के लिए खड़ा हो जा।

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